Wednesday, July 25, 2018

हमारी बेटी ...


ख़ुशी से जन्म लेता है बेटा
पर बेटियां ख़ुशी से नहीं लेती जन्म 
पढ़ने-लिखने भेजे जाते हैं बेटे 
पर बेटियां नहीं भेजी जाती 
स्कूल से घर लौटे बेटा जब 
माँ प्यार से खिलाती-पिलाती उन्हें तब 
और बेटी घर लौटे जब
माँ कहती खा -पी ले तू खुद 
घर से बहार निकले बिना बताये बेटा जब
कोई उन्हें नहीं पूछता तब 
और घर के दरवाज़े पर ही पहुंची बेटी जब 
फिर क्यों डांटकर उन्हें भेजा जाता अंदर तब
बेटा हमेशा रहता आज़ाद
पर बेटियां क्यों नहीं रहती आज़ाद
बेटों को कहते हैं घर की शान
फिर क्यों बेटियों को कहते संभालकर रखना तुम मान
मैं भी किसी की बेटी हूँ 
मुझ संग ऐसा नहीं कभी हुआ 
मांगती हूँ मैं रब से बस यही दुआ
के वो निकाल दे इंसान के भेजे मैं घुसा शैतान बुरा
ना बोले बेटी को कोई की ये-वो है तुम्हारा ईमान 
मिलना चाहिए सबको अधिकार हमेशा एक समान 
मिलना चाहिए सबको अधिकार हमेशा एक समान