Thursday, August 2, 2018

भावनाएं...........

  हैल्लो  दोस्तों आज मैं आप सबको एक दर्द भरी कहानी सुनाने  ज
    रही हूँ जो एक चिड़िया के बारे में है |
    तो आईयइ हम कहानी शुरू करते हैं


                 
एक छोटा सा  गांव था जहाँ एक घर था उस घर के पास ही एक बहुत बड़ा पेड़ भी था जिसपे एक नर और मादा चिड़िया रहती थी | बहुत दिनों बाद मादा चिड़िया ने चार अंडे दिए | वे उन अंडो का बहुत अच्छे से ख्याल रखती थी | कुछ दिनों बाद उस अंडे में से चार बच्चे हुए | नर और मादा चिड़ियाँ  अपने बच्चो का पालन -पोषण बहुत अच्छे से करती थी | धीरे-धीरे समय बीतता गया और चिड़िया के बच्चे बड़े होने लगे और चलने लगे | वे चारो बच्चे बहुत शरारती थे | कुछ दिनों बाद दोनों चिड़ियाँ अपने बच्चों को उस घर के छत्त पर ले गई और खेलने के लिए रख दिया और खुद भी उन बच्चों का ख्याल रखने लगी | वे बच्चे बहुत शरारती तो थे ही इसलिए इधर-उधर चले जाते और दोनों चिड़ियाँ उन्हें ढूंढने लगती | अगर वे नहीं मिलते तो दोनों चिड़ियाँ बहुत आवाज़ करने लगती और जैसे ही उनके बच्चे मिल जाते वे उन्हें लेकर पेड़ यानि अपने बसेरे पर चली जाती | वे दोनों चिड़ियाँ रोज़-रोज़ ऐसा करने लगी | पर एक दिन जब उसके बच्चे छत्त पर खेल रहे थे तो उनमे से एक बच्चा छत्त से गिर जाता है और उसी वक़्त उसकी मौत हो जाती है | इससे उन दोनों चिड़ियों को दुःख होता है | पर फिर भी वो अपने बच्चों को खेलने के लिए घर के छत्त पर लाती थी | फिर एक और दिन दूसरा बच्चा भी छत्त से गिर जाता है और उसकी भी मौत हो जाती है | दोनों चिडियों को बहुत दुःख होता है | फिर वे चिड़िया अपने बच्चों को खेलने के लिए नीचे ज़मीन पर ले  गई है जहाँ कोई आता-जाता न हो | रोज़ वे बच्चे वहां खेलते थे | फिर एक दिन दोनों बच्चे खेलते-खेलते कहीं चले गए और फिर जब नर और मादा चिड़िया उन्हें ढूंढे लगे तो उन दोनों बच्चों मे से कोई नहीं मिला | वे दोनों चिड़िया अपने बच्चो को इधर-उधर हर जगह ढूंढने लगे पर उनके बच्चे कहीं नहीं मिले | सुबह से शाम हो गई पर उन चिड़ियों को उनके बच्चे नहीं मिले | वे हर जगह-जगह जा के अपने बच्चों को आवाज़ लगाने लगे पर कोई फायदा नहीं हुआ | न जाने वे दोनों बच्चें कहाँ चले गए थे | फिर पूरी रात बीत गई , चिड़ियाँ अपने बच्चों को ढूंढते-ढूंढते थक गई पर कुछ न हुआ | उस घर के लोगों को पता था की पहले दो बच्चों की मौत छत्त से गिरने की वजह से हुई थी और अब आखिर मे जो बच्चे बचे थे वे भी न जाने कहाँ चले गए | वो चिड़िया अपने बच्चों के खातिर दो दिन तक रात-रात भर जागकर अपने बच्चों को ढूंढ रही थी और बहुत चिल्ला भी रही थी | मानो ऐसा लग रहा था की वो रो रही हो | क्योंकि जब किसी इंसान का बच्चा खोता है तो उसकी माँ का क्या हाल होता है ये सिर्फ वो ही बता सकती | उसी तरह पशु-पक्षियों मैं भी फीलिंग्स होती है | उस चिड़िया का भी यही हाल था, पर वो अपना दुःख भला किस्से कह पाती | अपने बच्चे को खोने का क्या दुःख होता है ये सिर्फ एक माँ या उसका दिल ही बता सकता है | दरअसल उस घर में कोई और नहीं बल्कि मैं और मेरा परिवार ही रहता है और वो चिड़िया हमारे ही घर के पास रहती थी | हम चाह कर भी उस चिड़िया के लिए कुछ कर नहीं पा रहे थे | उस बेचारी चिड़िया को देख कर मैं यही सोच रही थी हम इंसान पशु-  पक्षियों के लिए कुछ नहीं कर पाते | फीलिंग्स न सिर्फ इंसानों मे होती है बल्कि पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों मे भी होती है |  हमें कभी उन्हें नुक्सान नहीं पहुंचाना चाहिए आखिर मे मैं बस इतना ही कहना चाहूंगी की जब कभी कोई अपना अपनों से दूर होता है तो सबसे ज्यादा दुःख उसकी माँ और उसके परिवार वालों को होता है तो कभी ऐसा कोई भी कदम मत उठाना जिससे हमारे परिवार वालों को कोई भी दुःख हो | और हां ये जो कहानी अभी आपने पढ़ी है न वो झूठी नहीं है | ये पूरी घटना मेरे साथ घट  चुकी है इसलिए मैंने आपको ये सूचित करने के लिए ही ये कहानी लिखी है कि जब कभी किसी को मदद की ज़रुरत हो तो हमें उसकी मदद करनी चाहिए |
                                     
                                                                           धन्यवाद